माइक्रोसॉफ्ट-गूगल को झटका! आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपनाया स्वदेशी Zoho, जानिए क्या हैं इसके खास फीचर्स

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव Zoho ऐप को अपनाते हुए स्वदेशी का संदेश देते हुए, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल को अलविदा कहते हुए।
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दिया स्वदेशी प्लेटफॉर्म ज़ोहो को अपनाने का संदेश

नई दिल्ली: टेक्नोलॉजी की दुनिया में आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और बड़ा कदम बढ़ाते हुए, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने अपने आधिकारिक कामकाज के लिए माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस और गूगल वर्कस्पेस जैसे विदेशी प्लेटफॉर्म्स को छोड़कर पूरी तरह से भारतीय सॉफ्टवेयर-ए-ए-सर्विस (SaaS) प्लेटफॉर्म ज़ोहो (Zoho) को अपनाने का ऐलान किया है। यह कदम न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'स्वदेशी अपनाओ' अभियान को सपोर्ट करता है, बल्कि यह भारत को एक 'टेक-यूज़र' से 'टेक-लीडर' बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण चर्चा को भी जन्म देता है। आइए, इस घटना को विस्तार से समझते हैं – घटना के कारण, Zoho क्या है, इसके फायदे और इसका व्यापक प्रभाव।

क्या है पूरा मामला? - वैष्णव का स्विच और स्वदेशी का संदेश

हाल ही में, आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से यह जानकारी साझा की। उन्होंने लिखा, "मैं दस्तावेज़ों, स्प्रेडशीट्स और प्रेजेंटेशन्स के लिए हमारे अपने स्वदेशी प्लेटफॉर्म ज़ोहो पर जा रहा हूँ। मैं सभी से आग्रह करता हूँ कि स्वदेशी उत्पादों और सेवाओं को अपनाकर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के 'स्वदेशी' के आह्वान में शामिल हों।" इस पोस्ट के साथ उन्होंने एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें Zoho की क्षमताओं की सराहना की गई और कहा गया कि यह "फेनोमेनल" है। उनका यह कदम सिर्फ एक व्यक्तिगत बदलाव नहीं है, बल्कि सरकार की उस व्यापक नीति का हिस्सा है जिसके तहत 'मेक इन इंडिया' और 'डिजिटल आत्मनिर्भर भारत' को बढ़ावा दिया जा रहा है।

Zoho क्या है? एक भारतीय सॉफ्टवेयर की सफल कहानी

कई लोगों के लिए ज़ोहो का नाम नया हो सकता है, लेकिन यह एक भारतीय कंपनी है जो वैश्विक स्तर पर माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी कंपनियों को कड़ी टक्कर दे रही है। हाल ही में, आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव की तारीफ ने इसे सुर्खियों में ला दिया।

Zoho Corporation एक चेन्नई आधारित भारतीय बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनी है जिसकी स्थापना 1996 में श्रीधर वेम्बू और टोनी थॉमस ने की थी। श्रीधर वेम्बू, जो एक पद्म श्री पुरस्कार विजेता भी हैं, कंपनी के सीईओ हैं।

शुरू में यह AdventNet के नाम से जाना जाता था, लेकिन 2009 में Zoho ब्रांड के तहत पुनः ब्रांडेड हुआ। आज Zoho एक क्लाउड-बेस्ड सॉफ्टवेयर कंपनी है, जो व्यावसायिक और कार्यालयीन कार्यों के लिए 55 से अधिक एप्लिकेशन्स का पूरा सूट प्रदान करती है। इसकी यह विशेषता इसे माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 365 और गूगल वर्कस्पेस का एक बेहतरीन भारतीय विकल्प बनाता है। 

ज़ोहो की सेवाएं दुनिया भर के 150 से अधिक देशों में उपलब्ध हैं और इसके 10 करोड़ से भी ज़्यादा उपयोगकर्ता हैं। इसकी एक खास बात यह भी है कि कंपनी अपने बहुत से काम तमिलनाडु के ग्रामीण इलाकों से करती है, जिससे वहां रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं।

Zoho का मुख्य फोकस व्यवसायिक उत्पादकता पर है। यहां कुछ प्रमुख ऐप्स हैं जो माइक्रोसॉफ्ट और गूगल के विकल्प के रूप में काम करते हैं:

  • Zoho Writer, Sheet, Show: ये क्रमशः माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, एक्सेल और पावरपॉइंट के विकल्प हैं।
  • Zoho CRM: ग्राहक संबंध प्रबंधन (Customer Relationship Management) के लिए एक पावरफुल टूल।
  • Zoho Mail: एक सुरक्षित और विज्ञापन-मुक्त ईमेल सेवा।
  • Zoho WorkDrive: सुरक्षित फाइल स्टोरेज और शेयरिंग।
  • Zoho Books: अकाउंटिंग और बिलिंग के लिए।
  • Zoho Meeting: ऑनलाइन मीटिंग और वेबिनार के लिए।
  • Zoho Projects: टीम मैनेजमेंट और प्रोजेक्ट ट्रैकिंग के लिए।
  • Zoho Campaigns और Zoho Social: ईमेल मार्केटिंग और सोशल मीडिया मैनेजमेंट।
comparing Google Workspace and Zoho Workspace products.

Zoho की खासियतें इसे अलग बनाती हैं। यह उपयोगकर्ता डेटा प्राइवेसी पर जोर देता है, जो भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, Zoho Workspace माइक्रोसॉफ्ट और गूगल के प्लान्स से सस्ता है, खासकर छोटे व्यवसायों के लिए। उदाहरण के लिए, Zoho Projects का फ्री प्लान 5 उपयोगकर्ताओं और 5 जीबी स्टोरेज के साथ आता है। कंपनी का वार्षिक राजस्व 1 बिलियन डॉलर से अधिक है, और यह AI-इंटीग्रेटेड टूल्स के साथ लगातार विस्तार कर रही है।

क्या हैं इस कदम के मायने?

अश्विनी वैष्णव का ज़ोहो को अपनाना कई मायनों में महत्वपूर्ण है:

  • आत्मनिर्भरता का प्रतीक: यह कदम दर्शाता है कि भारत के पास अब विश्व स्तरीय तकनीकी उत्पाद हैं जो वैश्विक दिग्गजों का मुकाबला कर सकते हैं।
  • डेटा सुरक्षा: घरेलू प्लेटफॉर्म का उपयोग करने से भारत के संवेदनशील सरकारी डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने में मदद मिलती है, क्योंकि डेटा भारत में ही होस्ट किया जाता है।
  • स्थानीय उद्योग को प्रोत्साहन: जब सरकार खुद भारतीय उत्पादों का उपयोग करती है, तो इससे अन्य घरेलू कंपनियों और स्टार्टअप्स को भी प्रोत्साहन मिलता है। यह एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने में मदद करता है जहां भारतीय तकनीक फल-फूल सके।
  • विदेशी कंपनियों को संदेश: यह गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के लिए एक संकेत है कि भारतीय बाजार अब केवल एक उपभोक्ता बाजार नहीं है, बल्कि एक प्रतिस्पर्धी भी है।

ज़ोहो के संस्थापक और सीईओ श्रीधर वेम्बू ने मंत्री के इस कदम पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उनकी टीम के दो दशकों की कड़ी मेहनत के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है।

स्वदेशी अपनाने के फायदे: क्यों है Zoho एक स्मार्ट चॉइस?

वैष्णव का यह कदम केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि व्यावहारिक भी। विदेशी सॉफ्टवेयर पर निर्भरता कम करने से डेटा सॉवरेन्टी (Data Sovereignty) बढ़ती है – अर्थात, भारतीय डेटा भारत में ही रहे। हाल ही में भारत सरकार द्वारा Zoho को ईमेल इनबॉक्स मेनटेन करने का कॉन्ट्रैक्ट भी मिला है, जो इसकी विश्वसनीयता को दर्शाता है।

ज़ोहो के फायदे (Advantages of Zoho)

  • किफायती और इंटीग्रेटेड इकोसिस्टम: ज़ोहो का सबसे बड़ा फायदा इसकी कीमत है। यह Microsoft 365 और Google Workspace की तुलना में काफी किफायती है, खासकर छोटे और मध्यम व्यवसायों (SMBs) के लिए। इसके सभी ऐप्स (CRM, Mail, Books, Writer आदि) एक-दूसरे के साथ सहजता से काम करते हैं, जिससे यूज़र को एक एकीकृत अनुभव मिलता है।
  • व्यापक एप्लीकेशन सूट: ज़ोहो सिर्फ वर्ड प्रोसेसर या स्प्रेडशीट तक सीमित नहीं है। यह ग्राहक संबंध प्रबंधन (CRM), मानव संसाधन (HR), फाइनेंस, मार्केटिंग और आईटी हेल्पडेस्क जैसे लगभग हर व्यावसायिक ज़रूरत के लिए समाधान प्रदान करता है।
  • डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा: ज़ोहो अपनी डेटा प्राइवेसी नीतियों को लेकर बहुत पारदर्शी है। कंपनी का दावा है कि वह अपने यूज़र्स का डेटा विज्ञापन के लिए नहीं बेचती, जो आज के समय में एक बहुत बड़ा प्लस पॉइंट है। भारतीय यूज़र्स के लिए उनका डेटा भारत में ही स्थित डेटा सेंटरों में संग्रहीत किया जा सकता है, जो डेटा संप्रभुता के लिए महत्वपूर्ण है।
  • कस्टमाइज़ेशन की सुविधा: ज़ोहो के कई प्रोडक्ट्स को व्यवसायों की विशिष्ट ज़रूरतों के अनुसार कस्टमाइज़ किया जा सकता है, जो इसे बड़े उद्यमों के लिए भी एक आकर्षक विकल्प बनाता है।

ज़ोहो की कमियां (Limitations of Zoho)

किसी भी टेक्नोलॉजी को अपनाने से पहले उसके सभी पहलुओं का विश्लेषण करना ज़रूरी है। आइए, ज़ोहो के कमियों और चुनौतियों को विस्तार से समझते हैं।

  • यूज़र इंटरफ़ेस (UI) और अनुभव (UX): कुछ यूज़र्स का मानना है कि ज़ोहो के कुछ ऐप्स का इंटरफ़ेस Google और Microsoft के प्रोडक्ट्स जितना आधुनिक या सहज नहीं है। कभी-कभी बहुत सारे फीचर्स और सेटिंग्स नए यूज़र्स के लिए भारी पड़ सकते हैं।
  • ब्रांड पहचान और आदत: Microsoft Office (Word, Excel, PowerPoint) और Google Docs/Sheets दशकों से लोगों की आदत में शुमार हैं। लोगों को एक नए प्लेटफॉर्म पर स्विच करने और उसे सीखने के लिए मनाना एक बड़ी बाधा है। कई संगठन और व्यक्ति अपने मौजूदा इकोसिस्टम को छोड़ने से हिचकिचाते हैं।
  • एडवांस फीचर्स में कमी: हालांकि ज़ोहो अधिकांश ज़रूरतों को पूरा करता है, लेकिन कुछ बहुत विशिष्ट और एडवांस फीचर्स में, जैसे कि Microsoft Excel के मैक्रोज़ और जटिल डेटा विश्लेषण टूल, यह अभी भी थोड़ा पीछे हो सकता है।

ज़ोहो के सामने चुनौतियाँ (Challenges for Zoho)

  • वैश्विक दिग्गजों से प्रतिस्पर्धा: ज़ोहो का मुकाबला सीधे Microsoft, Google, और Salesforce जैसी खरबों डॉलर की कंपनियों से है। इन कंपनियों के पास मार्केटिंग, रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) के लिए असीमित संसाधन हैं।
  • भारतीय यूज़र्स का भरोसा जीतना: विडंबना यह है कि एक भारतीय कंपनी होने के बावजूद, ज़ोहो को घरेलू बाजार में भी भरोसा जीतने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। कई भारतीय खरीदार अभी भी विदेशी ब्रांडों को गुणवत्ता और विश्वसनीयता का पर्याय मानते हैं।
  • स्किल्ड प्रोफेशनल्स की कमी: ज़ोहो के प्लेटफॉर्म पर काम करने के लिए प्रशिक्षित पेशेवरों की उपलब्धता अभी भी Microsoft या Google इकोसिस्टम की तुलना में कम है, जो कंपनियों द्वारा इसे अपनाने के निर्णय को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष

निष्कर्ष रूप में, आईटी मंत्री का यह फैसला 'वोकल फॉर लोकल' का एक सशक्त उदाहरण है। यह न केवल एक सॉफ्टवेयर बदलने का निर्णय है, बल्कि यह एक ऐसी सोच का प्रतीक है जहां भारत अपनी क्षमताओं पर भरोसा कर रहा है और एक आत्मनिर्भर डिजिटल भविष्य की नींव रख रहा है।

यह घटना भारतीय टेक इकोसिस्टम के लिए एक मील का पत्थर है। यदि अधिक लोग Zoho अपनाते हैं, तो यह स्टार्टअप्स को बूस्ट देगा और डिजिटल इंडिपेंडेंस को मजबूत करेगा। जैसा कि वेम्बू ने कहा, यह इंजीनियरों का मनोबल बढ़ाएगा और राष्ट्र को गर्व महसूस कराएगा।

परीक्षा-उन्मुख तथ्य (One-Liner Facts)

  1. केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 22 सितंबर 2025 को माइक्रोसॉफ्ट और गूगल को छोड़कर स्वदेशी प्लेटफॉर्म Zoho को अपनाने की घोषणा की।
  2. यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' और 'स्वदेशी अपनाओ' अभियान का एक हिस्सा है।
  3. Zoho कंपनी की स्थापना 1996 में श्रीधर वेम्बू और टोनी थॉमस ने की थी।
  4. ज़ोहो (Zoho) एक भारतीय सॉफ्टवेयर-एज़-ए-सर्विस (SaaS) कंपनी है।
  5. ज़ोहो कॉर्पोरेशन का मुख्यालय चेन्नई, तमिलनाडु में है।
  6. ज़ोहो का पुराना नाम एडवेंटनेट (AdventNet) था।
  7. Zoho 55+ क्लाउड-बेस्ड ऐप्स प्रदान करता है, जो 150+ देशों में 100 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं को सेवा देता है।
  8. Zoho Writer, Sheet और Show माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, एक्सेल और पावरपॉइंट के स्वदेशी विकल्प हैं।
  9. Zoho की डेटा प्राइवेसी नीति भारतीय डेटा सॉवरेन्टी को बढ़ावा देती है, क्योंकि डेटा भारत में ही होस्ट होता है।
  10. वैष्णव का यह कदम 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' अभियानों का हिस्सा है।
  11. भारत सरकार ने Zoho को सरकारी ईमेल इनबॉक्स मेनटेन करने का कॉन्ट्रैक्ट दिया है।

FAQs

प्रश्न: आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने माइक्रोसॉफ्ट और गूगल के बजाय किस स्वदेशी प्लेटफॉर्म को अपनाने की घोषणा की?

उत्तर: जोहो (Zoho)

प्रश्न: Zoho Corporation की स्थापना कब और किसके द्वारा की गई थी?

उत्तर: Zoho Corporation की स्थापना 1996 में श्रीधर वेम्बू और टोनी थॉमस द्वारा की गई थी।

प्रश्न 2: जोहो (Zoho) कंपनी के संस्थापक और सीईओ कौन हैं?

उत्तर: श्रीधर वेम्बू।

प्रश्न: Zoho के कुछ प्रमुख ऐप्स कौन से हैं जो माइक्रोसॉफ्ट के विकल्प के रूप में काम करते हैं?

उत्तर: Zoho Writer (वर्ड), Zoho Sheet (एक्सेल), और Zoho Show (पावरपॉइंट) माइक्रोसॉफ्ट के विकल्प हैं।

प्रश्न: Zoho को अपनाने से भारत को क्या प्रमुख लाभ होता है?

उत्तर: Zoho को अपनाने से डेटा सॉवरेन्टी बढ़ती है, क्योंकि भारतीय डेटा भारत में ही होस्ट होता है, और यह 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देता है।

प्रश्न: Zoho के सामने क्या प्रमुख चुनौतियां हैं?

उत्तर: Zoho को माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसे वैश्विक दिग्गजों से प्रतिस्पर्धा, UI/UX में कमी, और भारतीय उपयोगकर्ताओं का भरोसा जीतने की चुनौती का सामना करना है।

प्रश्न: अश्विनी वैष्णव ने Zoho के बारे में क्या टिप्पणी की, और इसे कहां साझा किया?

उत्तर: वैष्णव ने Zoho को "फेनोमेनल" कहा और इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया।

प्रश्न: Zoho की डेटा प्राइवेसी नीति भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: Zoho की डेटा प्राइवेसी नीति महत्वपूर्ण है क्योंकि यह डेटा को भारत में होस्ट करती है और विज्ञापन के लिए डेटा नहीं बेचती, जिससे डेटा सॉवरेन्टी और सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

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